Resistance | Resistance meaning in hindi

RESISTANCE किसी वस्तु या पदार्थ के द्वारा करेन्ट के बहाव (Flow) में उत्पन्न की गयी रूकावट को , प्रतिरोध या रेजिस्टेन्स (Resistance) कहते हैं। इसे R से प्रदर्शित किया जाता है। रेजिस्टेन्स नापने की इकाई ओम है। ओम एक छोटी इकाई है। इसकी बड़ी इकाईयाँ किलो ओम और मेगा ओम हैं। इनमें आपसी सम्बन्ध निम्न प्रकार होता है- unit of resistance

प्रतिरोध के रुप में प्रयोग होने वाले पदार्थ | Resistant Material

भित्र-भित्र पदार्थों की प्रतिरोधक क्षमता भी भिन्न- भित्र होती है। इसके अलावा इनकी प्रतिरोधकता का परिणाम भी भिन्न-भिन्न होता है। कुछ पदार्थ प्रतिरोधकता के परिणाम स्वरूप केवल विद्युत धारा (current) में रुकावट उत्पन्न करते हैं, जबकि कुछ ताप (Heat) या प्रकाश (Light) उत्पन्न करते हैं।

कार्बन | Carbon

कार्बन (Carbon ) – कार्बन एक अल्पचालक पदार्थ है। इसका अपना अवरोध (Resistance ) बहुत अधिक होता है। लेकिन जब इसमें कुछ विशेष प्रकार के दूसरे पदार्थ मिला दिये जाते हैं तो इसका अवरोध, मिलाये गये पदार्थ के गुण व मात्रा के अनुसार परिवर्तित हो जाता है। इस प्रकार इस मिश्रण से विभिन्न मान की रेजिस्टेन्स बनाई जाती हैं।

यूरेका | Eureka

यूरेका (Eureka) यह एक मिश्र धातु (Alloy ) है जो 60% तांबा तथा 40% निकल को मिलाकर बनाई जाती है। इसका अवरोध काफी होता है। इसके कारण इसका प्रयोग रेजिस्टेन्स बनाने के लिए किया जाता है।

मैगानिन | Manganin

मैगानिन (Manganin) – यह भी एक मिश्र धातु है। इसमें 84% ताँबा, 12% मैगनीज तथा 4% निकल होता है। इसको रेजिस्टेन्स बनाने में यूरेका (Eureka ) के स्थान पर प्रयोग किया जा सकता है।

नाइक्रोम | Nichrome

नाइक्रोम (Nichrome ) – यह 80% निकल और 20% क्रोमियम की मिश्र धातु है । इसका अवरोध काफी होता है। इसका प्रयोग हीटर्स में हीटिंग एलीमैन्ट (Heating Elements) बनाने के लिए किया जाता है।

टंगस्टन | Tungsten

टंगस्टन (Tungsten ) यह एक कठोर धातु है। इसको पिघालने के लिए ऊंचे तापक्रम की आवश्यकता होती । इसका प्रयोग बिजली के बल्व, ट्यूब आदि के फिलामेन्ट आदि बनाने में किया जाता है।

रेजिस्टेन्स की निर्भरता! types of resistance

किसी चालक तार का रेजिस्टेन्स निम्न बातों पर निर्भर करता है-

तार की लम्बाई पर रेजिस्टेन्स की निर्भरता ! Dependence of resistance on wire length

तार का रेजिस्टेन्स, तार की लम्बाई के समानुपाती होता है अर्थात् जैसे जैसे तार की लम्बाई बढ़ती है, वैसे वैसे उसका रेजिस्टेन्स भी बढ़ता है। तार की मोटाई पर – किसी तार का रेजिस्टेन्स, तार की मोटाई के व्युत्क्रमानुपाती होता हैं अर्थात् जैसे-जैसे तार की मोटाई बढ़ती जाती है, वैसे-वैसे तार का अवरोध कम होता जाता है और जैसे-जैसे तार की मोटाई कम होती जाती है, वैसे-वैसे, तार का अवरोध बढ़ता जाता है। इस प्रकार कह सकते हैं कि मोटे तार का अवरोध कम होता है तथा पतले तार का अवरोध अधिक होता है।

ताप पर रेजिस्टेन्स की निर्भरता ! Dependence of resistance on temperature

किसी रेजिस्टेन्स पर ताप का प्रभाव उस रेजिस्टेन्स में प्रयोग किये गये पदार्थ पर निर्भर करता है। चालक पदार्थों का अवरोध ताप बढ़ने पर बढ़ता है लेकिन अल्प- चालक पदार्थों का अवरोध ताप बढ़ने पर कम हो जाता है।

रेजिस्टेन्स के प्रकार ! types of resistance

आजकल अनेकों प्रकार की रेजिस्टेन्स प्रयोग की जा रही हैं। प्रत्येक प्रकार की रेजिस्टेन्स का अपना एक विशेष उपयोग होता है। किसी सर्किट में किसी विशेष रेजिस्टेन्स का प्रयोग, सर्किट की आवश्यकता के आधार पर किया जाता विभिन्न प्रकार की रेजिस्टेन्सों का वर्णन नीचे दिया गया है –

कार्बन रेजिस्टेन्स (Carbon Resistance)-

जैसा कि पहले बताया जा चुका है कि कार्बन एक अर्ध चालक पदार्थ है। शुद्ध अवस्था में इसका अवरोध बहुत अधिक होता है। लेकिन जब इसमें दूसरे पदार्थ मिला दिये जाते हैं तो इसकी चालकता, मिलाये गये पदार्थ के अनुसार कम या ज्यादा हो जाती है। इस प्रकार इस मिश्रण को एक निश्चित अनुपात में, इन्स्यूलेटिंग ट्यूब (Insulating tube ) में भरकर भिन्न-भिन्न मान की रेजिस्टेन्स बनायी जाती है! चित्र संख्या 2 में कार्बन रेजिस्टेन्स की आन्तरिक संरचना दिखाई गई है।

सामान्यतया कार्बन रेजिस्टेन्स 2 वाट शक्ति की होती है। कार्बन रेजिस्टेन्स के वाटेज, रेजिस्टेन्स का साइज देखकर ज्ञात किये जाते हैं। जैसे-जैसे कार्बन रेजिस्टेन्स के वाटेज बढ़ते जाते हैं, वैसे-वैसे उसका साइज बढ़ता जाता है। रेजिस्टेन्स का साइज केवल वाटेज के अनुसार घटता बढ़ता हैं, मान के अनुसार नहीं। एक ही मान की रेजिस्टेन्स अलग अलग साइज की हो सकती हैं और अलग-अलग मान की रेजिस्टेन्स एक ही साइज की हो सकती हैं, जैसा कि चित्र संख्या 3 में दिखाया गया है। कार्बन रेजिस्टेन्स 1/8 वाट, 1/4 वाट, 1/2 वाट, 3/4 वाट, 1 वाट और 2 वाट की होती है.

जिस सर्किट में करेन्ट का मान कम होता है वहाँ

कम वाट की रेजिस्टेन्स काम में ली जाती हैं। लेकिन यदि किसी सर्किट में करेन्ट अधिक है तो वहाँ अधिक वाट की रेजिस्टेन्स प्रयोग की जाती हैं। उदाहरण के लिए ट्रांजिस्टराइज्ड रेडियो में करेन्ट कम होता है इसीलिए वहाँ हम 1/8 वाट, 1/4 वांट या 1/2 वाट तक की रेजिस्टेन्स काम में लेते हैं। लेकिन टी.वी. में कई जगह करेन्ट अधिक होता है। अतः वहाँ 1/2 वाट, 1 वाट 2 वाट या इससे भी अधिक वाट की रेजिस्टेन्स प्रयोग की जाती हैं।

कार्बन रेजिस्टेन्स के वाटेज तो साईज देख कर ज्ञात करते हैं लेकिन मान कलर कोड विधि से ज्ञात करते हैं। इसके लिए अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर एक कलर कोड प्रणाली अपनाई गयी है। इस विधि में 0 से 9 तक की संख्या के लिए एक निश्चित कलर निर्धारित किया गया है। प्रत्येक रेजिस्टेन्स पर उसके मान के अनुसार कलर्स की धारियाँ या डॉट्स बना दिये जाते हैं। इस कलर्स से मान ज्ञात करने के कुछ विशेष नियम बनाये गये हैं। स्टेण्डर्ड कलर कोड प्रणाली तथा उसके आधार पर रेजीस्टेंस कां मान ज्ञात करने के नियम निम्न प्रकार हैं-

Standard Color Coding of resistance

How to find value for resistance Color Code

resistance के मान को पता करने के लिए कुछ नियम है जैसे

नियम 1

  • A पहला कलर Resistance के सिरे के पास वाले कलर को मानते हैं।
  • B ) पहला कलर कभी भी काला, गोल्डन या सिल्वर नहीं होगा।
  • C अगर चौथे कलर में सिल्वर के स्थान पर गोल्डन होगा तो उस रेजिस्टेन्स की टोलरेन्सी +5% होगी और यदि चौथा कलर न हो तो उस रेजिस्टेन्स की टोलरेन्सी + 20% होगी।
  • D  गोल्डन या सिल्वर कलर हमेशा पहले दो कलर्स के बाद ही होंगे।
  • E किसी भी रेजिस्टेन्स पर कम से कम तीन तथा अधिक से अधिक छः कलर्स हो सकते हैं।

नियम 2

चार कलर्स की Resistance में पहले तीन कलर्स, रेजिस्टेन्स का मान ज्ञात करने के काम में आते हैं। इनमें से पहले दो कलर्स का मान क्रमशः वैसे का वैसा लिखते हैं तथा तीसरा कलर जितने नम्बर का होता है, उतनी ही शून्य, पहले दो कलर्स से प्राप्त संख्या के बाद लगा देते हैं। इस प्रकार जो संख्या प्राप्त होती है, वह उस रेजिस्टेन्स का ओह्म ( Ω ) में मान होता है। यदि यह संख्या 1000 या 1000 से अधिक है तो उसमें 1000 का भाग देकर किलो ओह्म (kΩ ) बनाते है और यदि किलो ओह्म 1000 या 1000 से अधिक हैं तो उसे दूबारा 1000 से भाग देकर मेगा ओह्म (mΩ) बनाते हैं चौथा कलर उस रेजिस्टेन्स की टोलरेन्सी (tolerance of resistance ) बताता है। रेजिस्टेन्स की टोलरेन्सी के लिए कलर कोड तथा उनकी प्रतिशत मात्रा सारणी में दी गई है। यदि किसी रेजिस्टेन्स में चौथा कलर नहीं दिया हुआ है तो उस रेजिस्टेन्स की टोलरेन्सी + 20% होती है।

नियम 3

चार कलर की Resistance में अगर तीसरा कलर काला होगा तो उसकी कोई शून्य नहीं लगेगी। क्योंकि हम जानते है तीसरा कलर जितने नम्बर का होता है उतनी ही शून्य लगाते हैं। जब की काला कलर मान खुद शून्य होता है

नियम 4

चार कलर की Resistance में यदि तीसरा कलर गोल्डन है तो पहले दो कलर्स का मान क्रमशः वैसे का वैसा लिखकर, उसमें 10 का भाग देते हैं। इस विधि से रेजिस्टेन्स का जो मान आएगा वह 1Ω से लेकर 9.9Ω तक होगा। इस प्रकार कहा जा सकता है कि 1Ω से 9.99 Ω तक की किसी भी रेजिस्टेन्स का तीसरा कलर हमेशा गोल्डन
होगा।

नियम 5

चार कलर की Resistance में यदि तीसरा कलर सिल्वर है तो पहले दो कलर्स का मान क्रमशः वैसे का वैसा लिख कर उसमें 100 का भाग देते हैं। इस प्रकार से रेजिस्टेन्स का जो मान आएगा वह .1Ω से . 99 तक . होगा अर्थात .1Ω से . 99 तक की रैजिस्टेन्स का तीसरा कलर हमेशा सिल्वर होगा।

नियम 6

यदि किसी Resistance में कुल पाँच कलर दिये हुए हैं तो पहले चार कलर रेजिस्टेन्स का मान ज्ञात करें के काम में आते हैं तथा पांचवाँ कलर रेजिस्टेन्स की टोलरेन्सी बताता है। इस प्रकार की रेजिस्टेन्स में पहले तीन कलर का मान क्रमशः वैसे का वैसा लिखते हैं तथा उनके आगे चौथे कलर के मान के बराबर शून्य लगा देते हैं.

नियम 7

आजकल छः कलर की विशेष रेजिस्टेन्स भी बनने लगी हैं, जो देखने में कार्बन रेजिस्टेन्स जैसी ही होती हैं लेकिन वाटेज शक्ति, कार्बन रेजिस्टेन्स की वाटेज शक्ति से अधिक होती हैं।

अब समस्या यह आई कि इन रेजिस्टेन्सों की वाटेज शक्ति को किस प्रकार पहचाना जाये क्योंकि कार्बन रेजिस्टेन्स की वाटेज शक्ति उसका साइज देखकर पहचानी जाती है। समान साइज की होने के कारण इनकी वाटेज शक्ति को पहचानने के लिए छठे कलर का प्रयोग किया गया, जो इनकी वाटेज शक्ति दिखाता है।

छठे कलर का मान निम्न प्रकार होता है

  • 0.1 ओह्म से लेकर 0.99 ओह्म तक की किसी भी रेजिस्टेन्स का तीसरा कलर हमेशा सिल्वर silver होगा,
  • 1 ओह्म से लेकर 9.9 ओह्म तक की किसी भी रेजिस्टेन्स का तीसरा कलर हमेशा गोल्डन golden होगा,
  • 10 ओह्य से लेकर 99 ओह्म तक की किसी भी रेजिस्टेन्स का तीसरा कलर हमेशा काला black होगा,
  • 100 ओह्य से लेकर 990 ओह्य तक की किसी भी रेजिस्टेन्स का तीसरा कलर हमेशा भूरा brown होगा,
  • 10002 Ω (1K) से लेकर 99002 (9.9K) तक की किसी भी रेजिस्टेन्स का तीसरा कलर हमेशा लाल Red होगा,
  • 10000 Ω (10K ओह्म) से लेकर 99K तक की किसी भी रेजिस्टेन्स का तीसरा कलर Orange (नारंगी) होगा,
  • 1000K (1M ) से लेकर 9.9M तक की किसी भी रेजिस्टेन्स का तीसरा कलर हमेशा Green हरा होगा,
  • 10 M से लेकर 99M तक की किसी भी रेजिस्टेन्स का तीसरा कलर हमेशा Blue नीला होगा,

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