What is Basic Electrical | बेसिक इलेक्ट्रीकल
Basic Electrical and Electronics Engineering में दो चीजे आप को दिखाई दे गी एक Basic Electrical दूसरा Basic Electronics इन दूनो में पहले हमें Basic Electrical के बारे में जानना होगा अगर हम इलेक्ट्रिसिटी को नहीं समझेंगे तो बेसिक इलेक्ट्रानिक्स (electronics ) को नहीं समझ पाएंगे इलेक्ट्रिसिटी किया है,यह एक कठिन प्रश्न है क्योंकि विद्धुत ( बिजली ) या इलेक्ट्रिसिटी एक ऐसी शक्ति है जिसे देखा नहीं जा सकता इसके प्रभाव को हम उष्मा प्रकाश गति या चुम्बकीय तथा अन्य बहुत से भौतिक प्रभाव के रूप में देख सकते हैं, सब से पहले यूनानी वैज्ञानिक थेल्स एम्बर ने देखा की कांच की छड़ को रेशम के कपडे से रगड़ने पर उस में एक ऐसा गुण पैदा हो जाता है, की जिसके कारण वह कागज के छोटे टुकड़ों को अपनी ओर खींचने लगता है ,
इस खोज के बाद यह विशेषता कई और वस्तुओं में भी पाई गई, उदाहरण के लिए सूखे बालों में कन्घा घुमाकर जब उसे कागज के छोटे टुकड़ों के पास लाया गया तो कागज के टुकड़े कन्घे से चिपकने लगे इस शक्ति को विद्धुत आवेश यानी electric charge नाम दिया गया और कागज के टुकड़ों का कांच या कंघी की ओर खींचना दो विपरीत आवेशों की प्रतिक्रिया का परिणाम माना गया इसे समझने के लिए उन्होंने चुंबक के दक्षिणी ध्रुवो का उदाहरण उत्तरी व दक्षिणी ध्रुव का उदाहरण देते हुए कहा की जिस प्रकार चुम्बक के दो समान ध्रुव एक दूसरे को दूर धकेलते हैं तथा असमान ध्रुव एक दूसरे को आकर्षित करते हैं ठीक उसी प्रकार दो सामान आवेश एक दूसरे को दूर करते हैं तथा असमान आवेश एक दूसरे को आकर्षित करते हैं कांच की छड़ को जब रेशम के कपडे से रगड़ा गया तो उसमें एक प्रकार का आवेश charge उत्पन्न हो गया जब इस आवेसित क्षण को कागज के टुकड़े के पास लाया गया तो कागज के टुकड़ों में छड़ के आवेश से विपरीत आवेश उत्पन्न हो गया क्योंकि विपरीत आवेश एक दूसरे को अपनी ओर आकर्षित करते हैं इसलिए क्षण के साथ कागज के छोटे टुकड़े चिपक गए वैज्ञानिकों ने दो तरह के आवेशो की सही पहचान करने के लिए उन का नाम रख दिया एक का नाम धन आवेस positive charge और दूसरे को ऋण आवेस negative charge रखा इस प्रकार की विद्धुत में एक कमी पाई गई कि यह जिस स्थान पर उत्पन्न होती है वहीं पर स्थिर रहती है इसलिए इसे स्थिर विद्धुत भी कहा जाता है इसी कमी के कारण इस विद्धुत को किसी प्रयोग में नहीं लाया जा सका आज हम विद्धुत के जितने भी Electrical and Electronics में या अन्य जगहों पर जो प्रभाव देखते हैं वह गतिशील विद्धुत के प्रभाव है इस गतिशील विद्धुत को करंट विद्धुत कहा जाता है वैज्ञानिक जे थामसन के अनुसार विद्धुत और कुछ नहीं केवल इलेक्ट्रॉन्स का बहाव मात्र है इसके बहाव को देखा नहीं जा सकता केवल इसके प्रभाव को देखा और महसूस किया जा सकता है इसके अनुसार किसी चालक तार में विद्धुत केवल उसी समय बहती है जब इलेक्ट्रॉन्स इस के एक सिरे से दूसरे सिरे की ओर गति करते हैं यह विद्धुत ( बिजली ) की आधुनिक परिभाषा है ये ही इलेक्ट्रिसिटी की नयी परिभाषा है
NOTE अब अगर लेक्ट्रॉन्स को समझना है तो पहले परमाणु को समझना होगा
atoms and molecules
किसी पदार्थ का वह सबसे छोटा कण जिसमें उस पदार्थ के समस्त गुण पाये जाते हैं, अणु (Molecule) कहलाता है। अणु की खोज के समय उसे ही पदार्थ का सबसे छोटा कण माना जाता था लेकिन अब अणु को भी विभक्त किया जा चुका है अणु (Molecule) के इन भागों को ही परमाणु (Atom) कहते हैं परमाणु (Atom) के गुण उसके पदार्थ के गुड़ के भिन्न होते हैं यह स्वतंत्र अवस्था में नहीं पाए जाते
परमाणु की संरचना कैसी होती है | What is The Structure Of an Atom
परमाणु की संरचना बड़ी जटिल होती है इसके केंद्र ( बीचो बीच ) में नाभिक या केंद्रक nucleus होता है केंद्र में प्रोटॉन और न्यूट्रॉन होता है प्रोटॉन के कण में धनात्मक आवेश positive charge होता है,
तथा न्यूट्रॉन के कण में कोई आवेश नहीं होता किसी परमाणु के केंद्र में स्थिर न्यूट्रॉन और प्रोटॉन की संख्या बराबर होती है केंद्र के चारों ओर अंडाकार घरों में कुछ कण ठीक उसी प्रकार चक्कर लगाते रहते हैं जैसे कि सूर्य के चारों ओर ग्रह चक्कर लगाते हैं यह कण इलेक्ट्रॉन कहलाते हैं जिस प्रकार ग्रह एक बल के कारण सूर्य की ओर खींचे हुए रहते हैं ठीक उसी प्रकार यह इलेक्ट्रॉन भी एक बल के कारण केंद्र की ओर खिंचे हते हैं इस बल को अभिकेंद्रीय बल कहते हैं इलेक्ट्रॉन पर ऋण आवेश Negative charge होता है प्रत्येक पदार्थ की संरचना अलग अलग होती है इसके अलावा अलग अलग पदार्थो के परमाणुओं के केंद्र के चारों ओर घूमने वाले इलेक्ट्रॉन की संख्या भी अलग अलग होती है तथा यह इलेक्ट्रॉन एक या एक से अधिक घरों में घूमते रहते हैं इन घेरो को कक्षाएं orbit कहा जाता है एक उदासीन परमाणु में इलेक्ट्रान और प्रोटोन की संख्या समान
होती है
चालक पदार्थ किया है | Good Conductor
किसी भी Electrical and Electronics सर्किट या या घरो की वायरिंग में हमें इलेक्ट्रिसिटी ( electricity ) प्रवाह करवानी पड़ती जिस के लिए चालक पदार्थ (GOOD CONDUCTOR ) की जरूरत पड़ती है तो हम कह सकते है सामान्यता जिन पदार्थों में से विद्युत धारा (electric) बिना किसी रूकावट के वह सकती है उन्हें हम चालक पदार्थ कहते हैं इन पदार्थों में मुक्त इलेक्ट्रॉन एक परमाणु से दूसरे परमाणु तक आसानी से गति कर सकते हैं वैसे तो प्राकिर्ती में कोई भी ऐसा पदार्थ नहीं है जो विद्युत धारा के मार्ग में बिल्कुल भी रुकावट पैदा ना करें परंतु कम रुकावट उत्पन्न करने वाले पदार्थ को अच्छा चालक माना जाता है सामान्य रूप से सभी धातु अच्छे चालक पदार्थ होते हैं लेकिन इन में सोना तांबा और चांदी अच्छे चालक होते हैं प्रायोगिक रूप में चालक के लिए तांबा प्रयोग किया जाता है क्योंकि यह सोना और चांदी के मुकाबले सस्ता है आजकल तांबे के स्थान पर एलमुनियम का प्रयोग भी किया जाता है यह तांबे के मुकाबले सस्ता होता है
कुचालक पदार्थ किया है | Bad Conductor Of Electricity
किसी भी Electrical and Electronics सर्किट या या घरो की वायरिंग में हमें इलेक्ट्रिसिटी के झटके से बचने के लिये इस पदार्थ की जरूरत पड़ती है तो हम कह सकते है जिन पदार्थों में से विद्युत धारा नहीं बह सकती उन्हें हम कुचालक पदार्थ कहते हैं जब भी कही पर हमें विद्युत धारा को जाने से रोकना होता है वहां कुचालक पदार्थों का प्रयोग किया जाता है इन पदार्थों के परमाणुओं कीअंतिम कक्षा पूर्ण होती है और इस प्रकार इन की अंतिम कक्षा के इलेक्ट्रॉन को स्वतंत्र नहीं किया जा सकता स्वतंत्र इलेक्ट्रॉन की कमी होने के कारण इन में से विद्युत धारा नहीं बह सकती कुचालक पदार्थों को इंसुलेटर भी कहा जाता है कुछ इंसुलेटर ऐसे भी होते हैं जिनमें विद्युत आवेश इलेक्ट्रिक चार्ज को इकट्ठा करने की क्षमता होती है इन्हें डाई इलेक्ट्रिक कहा जाता है प्रत्येक इंसुलेटर डाई इलेक्ट्रिक नहीं होता लेकिन प्रत्येक डाई इलेक्ट्रिक इंसुलेटर होता है अर्थात इंसुलेटर और डाई इलेक्ट्रिक दो अलग-अलग गुण धर्म वाले कुचालक पदार्थ है इंसुलेटर का प्रयोग विद्युत धारा को रोकने के लिए तथा डाई इलेक्ट्रिक का प्रयोग विद्युत आवेश
इलेक्ट्रिक चार्ज को इकट्ठा करने के लिए किया जाता है
अर्धचालक पदार्थ किया है | Semi Conductor
यह अर्धचालक और कुचालक पदार्थों की बीच की श्रेणी का पदार्थ होता हैं इनमें विद्धुत धारा को रोकने की क्षमता ( अवरोध resistance ) चालक पदार्थों की अपेक्षा जियादा और कुचालक पदार्थों की अपेक्षा कम होती है जब यह पदार्थ शुद्ध संरचना में होते हैं तो इनमे स्वतंत्र इलेक्ट्रॉन की संख्या बहुत ही कम होती है जिसकी वजह से इनमें से विद्धुत धारा बहुत ही कम मात्रा में बहती है लेकिन जब इन में कुछ विशेष गुण वाले पदार्थ बहुत कम मात्रा में मिला दिया जाता है तो इनमे स्वतंत्र इलेक्ट्रॉन की संख्या में वृद्धि हो जाती है जिसकी वजह से इनकी चालकता बढ़ जाती है जर्मीनियम और सिलिकॉन अर्धचालक श्रेणी का पदार्थ होता है इसके अंदर मिलाए जाने वाला पदार्थ इन्डीयम और आर्सेनिक है जो इनकी जरूरत के हिसाब से मिलाया जाता हैं अर्धचालक के उपयोग से इलेक्ट्रानिक्स जगत में क्रांति आ गई है आजकल सिलिकॉन और जर्मेनियम अर्धचालक पदार्थों का प्रयोग इलेक्ट्रानिक्स (electronics ) component बनाने में अधिक तौर पर किया जाता है सिलिकॉन परमाणु की संरचना चित्र में दिखाई गई है इसके अनुसार इसके नाभि में कुल 14 प्रोटॉन हैं तथा नाभि के चारों ओर तीन कक्षाओं में कुल 14 इलेक्ट्रॉन्स घूम रहे हैं प्रथम कक्षा K में 2 इलेक्ट्रॉन है दूसरी L में 8:00 तथा तीसरी और अंतिम कक्षा M में 4 इलेक्ट्रॉन है दूसरे चित्र जर्मी नियम परमाणु की संरचना दिखाई गई है इसके नाभि में कुल 32 प्रोटॉन है तथा नाभि के चारों ओर 4 कक्षाओं में कुल 32 इलेक्ट्रॉन है प्रथम कक्षा K में 2 द्वितीय L में 8:00 तीसरी M में .18 तथा चौथी N में 4 इलेक्ट्रॉन है
कोई भी अर्द्ध चालक component बनाने में वह component जो इलेक्ट्रानिक्स ( Electronics ) सर्किट में प्रयोग होता है सिलिकॉन और जर्मेनियम के अलावा कुछ अन्य पदार्थों का उपयोग भी Electronics component बनाने के लिए किया जाता है। ये पदार्थ बोरोन, एल्यूमिनियम, गैलियम, इन्डीयम, फास्फोरस, आर्सेनिक और एन्टीमनी हैं। इन पदार्थों को दो भागों में बाँटा जा सकता है। पहले तो वे जिनके परमाणु की अन्तिम कक्षा में पाँच इलेक्ट्रॉन्स होते हैं तथा दूसरे वे जिनके परमाणु की अन्तिम कक्षा में तीन इलेक्ट्रॉन्स होते हैं । फास्फोरस, आर्सेनिक और एन्टीमनी के परमाणु की अन्तिम कक्षा में पांच तथा बोरोन, एल्यूमिनियम और इन्डीयम के परमाणु की अन्तिम कक्षा में तीन इलेक्ट्रॉन्स होते हैं’ जब किसी अर्द्ध चालक पदार्थ में, ऐसा पदार्थ मिलाया जाता है जिसकी अन्तिम कक्षा में 5 इलेक्ट्रॉन्स होते है तो क्रिया के परिणाम स्वरूप जो नया पदार्थ बनता है, उसे N- टाइप अर्द्ध चालक (N-Type semi Conductor) कहते हैं तथा जब कोई ऐसा पदार्थ मिलाया जाता है जिसकी अन्तिम कक्षा में तीन इलेक्ट्रॉन्स होते हैं तो इस प्रकार बने नये पदार्थ को P- टाइप अर्द्ध चालक (P-Type semi-conductor) कहते हैं। N-टाइप व P – टाइप अर्द्ध चालक पदार्थों को मिलाकर ही विभिन्न प्रकार के सोलिड स्टेट component (जैसे डायोड, ट्रांजिस्टर I C आदि) बनाये जाते हैं जो की इलेक्ट्रानिक्स सर्किट में प्रयोग होता है
voltage current | Electric Force And Electric Current
Basic Electrical and Electronics Engineering को यह जानना जरूरी है वैसे तो आप यह जानते ही होंगे कि विद्धुत धरा की आधुनिक परिभाषा के अनुसार किसी चालक तार में इलेक्ट्रॉन एक सिरे से दूसरे सिरे की ओर बहते हैं तो तार में विद्धुत धारा बहती है अब सवाल यह उठता है कि क्या यह इलेक्ट्रॉन बिना किसी दबाव के एक सिरे से दूसरे सिरे की ओर बहते हैं इस बात को निम्न उदाहरण से समझा जा सकता है
चित्र में देखे कांच की गोलियों से भरी एक ट्यूब दिखाई गई है , सामान्य अवस्था में सभी गोलियां ट्यूब के अंदर बिना किसी हलचल के पड़ी रहती है, लेकिन जब इन गोलियों पर कोई बाहरी बल लगाया जाता है, तो एक के बाद एक सभी गोलियां हलचल करने लगती है इस क्रिया के परिणाम स्वरुप अंतिम गोली ट्यूब से बाहर निकल कर आजाद हो जाती है | इसी प्रकार सामान्य अवस्था में चालक तार के इलेक्ट्रॉन उसके परमाणु के केंद्र के चारों ओर अभिकेंद्र बल के वजह से बंधे हुए होते हैं जब चालक तार के सिरों पर विद्धुत दबाव लगाया जाता है तो उसके परमाणु की अंतिम कक्षा का इलेक्ट्रॉन कक्षा से अलग होकर आजाद विचरण करने लगता है, क्योंकि इलेक्ट्रॉन ऋण आवेशित negative charge होता है अतः आजाद इलेक्ट्रॉन बैटरी के धनात्मक positive सिरे की ओर आकर्षित होता है इस प्रकार इलेक्ट्रॉन बैटरी के धनात्मक positive सिरे की ओर गति करने लगता हैं और उनके स्थान पर नए इलेक्ट्रॉन्स बैटरी के ऋण negative सिरे से लगातार आते रहते हैं इस प्रकार चालक तार में इलेक्ट्रॉन्स बहते रहते हैं और इसी इलेक्ट्रॉन्स के बहने को विद्धुत धारा कहा जाता है अतः कहा जा सकता है किसी चालक तार में धारा बह रही है अब सवाल यह उठता है कि बैटरी के ऋण negative सिर से जो इलेक्ट्रॉन आते हैं उन पर कौन सा बल काम करता है
आपने पढ़ा की ऋण आवेशित negative charge इलेक्ट्रॉन बैटरी के धनात्मक positive सिरे की ओर आवेशित होता है जब एक इलेक्ट्रॉन अपने स्थान छोड़कर आगे जाता है तो वह स्थान खाली हो जाता है इस खाली जगह को होल कहते हैं और यह धनात्मक चार्ज positive charge होता है धनात्मक चार्ज positive charge होने के कारण इसके पीछे वाला इलेक्ट्रॉन्स इसके पास आ जाता है तथा अपने स्थान पर एक नया होल बना आता है इस प्रकार इलेक्ट्रॉन्स के बहने की दिशा बैटरी के ऋण negative सिरे से धनात्मक positive सिरे की ओर होती है तथा होल्स इसके उलटी दिशा में बनते रहते हैं जब यह होल्स बैटरी के ऋण negative सिरे तक पहुंचते हैं तो बैटरी के ऋण negative सिरे से इलेक्ट्रॉन आकर्षण बल के कारण उत्सर्जित होकर इन होल की पूर्ति करते हैं और यह कर्म चलता रहता है यही प्रक्रिया चित्र में दिखाई गई है | उम्मीद है Basic Electrical and Electronics Engineering के student को समझने के लिए यह आसन रहा होगा
विद्युत धारा के प्रकार | Types of Current
विद्युत धारा दो प्रकार की होती है
1 आवर्ती धारा Direct Current इसे हम D C Current भी कहते है
2 प्रत्यावर्ती धारा Alternating Current इसे हम A C Current भी कहते है
Basic Electrical and Electronics Engineering के student को दोनों धाराओं के बारे में जानना बहुत जरूरी है चलये फिर एक के बाद एक देखते है
Direct Current | Direct Current in Hindi
यह ऐसी विद्युत धारा है जिसकी दिशा और मान हमेशा एक जैसा रहता है बैटरी या सैल से मिलने वाली धारा आवर्ती ( Direct Current ) धारा होती है जैसे के चित्र में दिखाया गया एक डीसी सर्किट में इलेक्ट्रॉन की गति धारा की दिशा के उलटी होती है इलेक्ट्रॉन बैटरी के ऋण negative सिरे से धनात्मक positive सिरे की ओर बहती हैं तथा धारा धनात्मक positive सिरे से ऋण negative सिरे की ओर बहती है किसी भी D C विद्युत स्रोत का एक सिरा धनात्मक positive और दूसरा सिरा ऋण negative होता है क्योंकि D C की दिशा एक ही समान रहती है इस लिए इस की फ्रीक्वेंसी शून्य होती है 0 होती है electronics सर्किट में ज्यादा तर इसी का पर्योग किया जाता है
Alternating Current | Alternating Current In Hindi
ऐसी विद्युत धारा है जिसकी दिशा और मान समय के अनुसार बदलती रहती है A C Current कहलाती है एक ही स्थिति में इस विद्युत धारा का मान अधिकतम होता है लेकिन दूसरी स्थिति में धीरे-धीरे कम होकर शून्य हो जाता है इसके बाद यही कर्म उलटी दिशा में चलता है दोनों दिशाओं में आने के कारण इस धारा की गति का ग्राफ एक तरंग की आकृति जैसा होता है A C Current में इस प्रकार की एक सेकंड में 50 तरंगे आती है इस प्रकार हम कह सकते है A C की फ्रीक्वेंसी 50 साइकल परति सेकंड होती है 1 सेकंड में 50 साइकल आने के कारण इसका मान प्रति सेकंड सौ बार शून्य मतलब 0 होता है क्योंकि यह रफ्तार हमारी आंख द्वारा चित्रों को देखने की क्षमता 16 चित्र प्रति सेकंड से काफी अधिक है इसलिए हम इसके प्रभाव को देख नहीं पाते इसी में एक सिरा फेज Phase तथा दूसरा न्यूट्रल neutral होता है A C का तरंग आकार और ग्राफिकल निशान चित्र में दिखाया गया है दोनों प्रकार की विद्युत धाराओं में A C Current अच्छी मानी जाती है| इसकी वजह इसकी उपयोगिता है , इसी कारण इसका प्रयोग दिन प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है A C Current की अच्छाइ के कई वजह है इन वजहों में सबसे प्रमुख यह है कि इसे ट्रांसफार्मर के जरये हम अपनी जरूरत के हिसाब से कम या ज्यादा कर सकते हैं जबकि D C Current में ऐसा नहीं किया जा सकता इसके अलावा D C Current का झटका A C के मुकाबले ज्यादा खतरनाक होता है|
NOTE किसी भी चालक तार में जब विद्युत धारा बहती है तो उस समय उस चालक तार में तीन घटनाएं होती है यह निम्न है
1 Voltage
2 current
3 resistance
Basic Electronics | बेसिक इलेक्ट्रानिक्स किया है
ऊपर आप ने Basic Electrical के बारे में देखा Basic Electrical and Electronics Engineering में अब आप Basic Electronics के बारे में देखेंगे और अपने प्रोजेक्ट खुद बनाना सीखेंगे यह बहुत आसान है। आप उसे इस ब्लॉग से सीख सकते है , हम आपको Electronics में प्रयोग होने वाले समान्य पार्ट के बारे में समझाएंगे कि उनके कार्य क्या हैं। और उनका उपयोग कैसे किया जाता है। और इस तरह आप अपना खुद का प्रोजेक्ट बना पाएंगे इलेक्ट्रानिक्स ( Electronics ) की फील्ड में उतरते ही सब से पहले आप अपने काम करने की जगह सेट करे काम करने की जगह जरूरी नहीं है की बहुत सुन्दर हो लेकिन ऐसी जगह हो जहा रौशनी की कमी न हो और आप अपना टूलस और इलेक्ट्रॉनिक पुर्जा (Electronics Components ) अच्छे से रख सके ।
इलेक्ट्रानिक्स पुर्जे का रख रखाव कैसे करे | Maintenance Of Electronics Components
इलेक्ट्रानिक्स पुर्जा ( Electronics Components ) छोटे छोटे होते हैं और सब कुछ व्यवस्थित रखना एक अच्छी बात है। सबसे लोकप्रिय विकल्प प्लास्टिक के डिब्बे का उपयोग करना है प्लास्टिक के डिब्बे ऐसे होने चाहिए जो एक या एक शेल्फ पर फिट हो जाये और हर पुर्जा ( Components ) अलग अलग डिब्बे में सही तरीके से रखे ताकि कोई सामन खोजना न पड़े
Electronics tools | इलेक्ट्रॉनिक्स के औजार
अब जब की आपके पास एक अच्छा कार्यक्षेत्र है, तो इसे उचित उपकरण के साथ सजाने का समय आ गया है। यह पूरी सूची नहीं है, लेकिन यह इलेक्ट्रानिक्स ( Electronics )में उपयोग की जाने वाली सबसे आम उपकरण है।
Digital Multimeter | डिजिटल मल्टीमीटर किया है
मल्टीमीटर एक ऐसा उपकरण है जिसका उपयोग विद्धुत प्रवाह ( electrical current ), वोल्टेज ( voltage) और प्रतिरोध ( ohm ) को मापने के लिए किया जाता है। यह सर्किट में किसी समस्या को ढूढ़ने में मदद करता है और यह Alternating और direct वोल्टेज दोनों को मापने में सक्षम है।
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ब्रेड बोर्ड किया है | Breadboard
ब्रेडबोर्ड अस्थायी इलेक्ट्रॉनिक्स ( Electronics ) सर्किट के निर्माण के लिए एक आवश्यक उपकरण हैं। इन बोर्डों में तार और पुर्जा ( components ) डालने के लिए छेद होते हैं। उनकी उन की इसी बनावट के कारण, आप आसानी से सोल्डरिंग के बिना सर्किट सर्किट बना सकते हैं। ब्रेडबोर्ड में छेद उपर दिखाए गए चित्र के अनुसार क्षैतिज और लंबवत दोनों पंक्तियों में होते हैं।
वायर कटर किया है | Wire Cutter
तार को उपर लगे इंसुलेशन को हटाने और ठोस तांबे के तार को कट करने के लिए वायर कटर की आवश्यकता पड़ती हैं
बैटरी होल्डर किया है | Battery Holder
बैटरी होल्डर किसी भी एलेक्ट्रानिकp ( Electronics ) प्रोजेक्ट में पर्योग होने वाला अहम पार्ट है यह एक प्लास्टिक केस होता है जो की 9 Volt की बैटरी को होल्ड करता है। कुछ बैटरी होल्डर में on off स्विच भी हो सकता है ।
पेचकश | Screwdriver
आम तौर पर Basic Electrical and Electronics Engineering दोनों में पेचकश ( screwdrivers ) का पर्योग होता है पेचकश screwdrivers एक सेट पूरा लेना चाहिए प्रतेक साइज़ का और प्रतेक टाइप के पेचकश screwdrivers होना चाहिए लेक्ट्रॉनिक्स ( Electronics ) में छोटे स्क्रू होते है इस लिए लेक्ट्रॉनिक्स ( Electronics )के साथ काम करते समय ये बहुतजरूरी है की इनमें छोटे पेचकश screwdrivers का पूरा सेट होना चाहिए
टेस्ट लीड किया है | Test Lead
किसी सर्किट का परीक्षण करने के लिए हमें components को सोल्डिंग करना पड़ता है मगर components को बिना सोल्डिंग किये जोड़ने के लिए टेस्ट लीड बहुत अच्छा विकल्प हैं
सोल्डिंग आयरन स्टैंड | Soldering Iron Stand
इलेक्ट्रानिक्स ( Electronics ) के साथ काम करते समय, यह जरूरी है की हमारे हाथ काम करने के लिए फ्री हों इस लिए हमें एक स्टैंड की जरूरत पड़ती जिस पर हम सर्किट बोर्ड या सोल्डिंग आयरन को होल्ड कर सकेते हैं
हीट गन किया है | Heat Gun
एक हीट गन का उपयोग इलेक्ट्रानिक्स ( Electronics ) में पर्योग होने वाले वायर पर प्लास्टिक टयूबिंग को सिकोड़ने के लिए किया जाता है,जब कभी तार के उपर इंसुलेशन नहीं होता तब प्लास्टिक टियूब में तार को डाल कर हीट गन से गर्म कर देते है जिस से वह सिकुड़ जाती है और नंगे तार को ढक लेती है जिस से इलेक्ट्रानिक्स ( Electronics ) सर्किट को कोई नकसान नहीं होता
जम्प्पर वायर किया है | Jumper Wires
ऐसे तारों का उपयोग ब्रेडबोर्ड और इलेक्ट्रानिक्स ( Electronics ) सर्किट बोर्डों के साथ किया जाता है आमतौर पर 22 से 28 AWG कोर तार का उपयोग किया जाता हैं। जम्पर तारों में male or female छोर हो सकते हैं, यह इस बात पर निर्भर करता है कि उन्हें किस जगह उपयोग करना है
सोल्डरिंग आयरन | Soldering Iron
जब एक इलेक्ट्रानिक्स ( Electronics ) सर्किट बनाने का समय आता है, तो आप को कई components को एक साथ जोड़ना पड़ता है । ऐसा करने के लिए, टांका लगाने की जरूरत पड़ती है टांका लगाने के लिये जिस उपकरण का उपयोग करते है उसे सोल्डरिंग आयरन ( Soldering Iron) कहते है कभी भी एक अच्छा Soldering Iron पर्योग करना चाहिये
इलेक्ट्रानिक्स पुर्जे किया होते हैं | Electronics Components
अब समय उन विभिन्न Electronic Components के बारे में बात करने की है जो आपके इलेक्ट्रॉनिक प्रोजेक्ट को बनाने में बहु ज्यादा उपयोगी होते है Switch Resistor Capacitor Diode Transistor Relay Integrated Circuit (IC) आदि इन सब को आप देखने के लिए आप यहाँ से विजिट कर सकते है