इन्स्यूलेटेड चालक तार की कुछ लपेटों (Turns) को सीरीज में लगाकर बनाया गया पुर्जा क्वाइल ( coil ) कहलाता है। ये लपेंटे जिस आधार पर लपेटी जाती है, उसे कोर (Core) कहते हैं। जब ये लपेटें किसी कुचालक आधार या बिना किसी आधार के लपेटी जाती है तो उन्हें एयर कोर क्वाइल ( coil ) कहा जाता है लेकिन जब ये लपेटें किसी फैराइट या आयरन धातु की कोर पर लपेटी जाती है तो उन्हें फैराइट कोर या आयरन कोर क्वाइल( iron coil ) कहा जाता है। उपयोग के अनुसार, ये विभिन्न आकार में और विभिन्न आधारों पर लपेटी जाती है ।
इसे इन्डक्टर ( Inductor ) भी कहते हैं। इसका इस में बहने वाली करेन्ट के अनुसार चुम्बकीय क्षेत्र (Magnetic Field) उत्पन्न करना है। एक क्वाइल,( coil ) करेन्ट के बहाव में किसी भी परिवर्तन का विरोध करती है अर्थात यदि इस को इस प्रकार की सप्लाई दी जाये कि जिसका मान लगातार बदल रहा हो तो इन में दी गई वोल्टेज से विपरीत पोलेरिटी के वोल्टेज उत्पन्न होते हैं, जो कि दिये गये वोल्टेज का विरोध करते हैं। इस प्रकार इस का वह गुण, जिसके कारण उसमें विरोधी वोल्टेज उत्पन्न होते हैं, इन्डक्टेन्स (inductance) कहते हैं ।
इन्डक्टेन्स नापने की इकाई हैनरी (Henry) है। हैनरी एक बड़ी इकाई है। इसकी छोटी इकाईयाँ तथा उनमें आपसी सम्बन्ध इस प्रकार है
Unit of Inductance इन्डक्टेन्स नापने की इकाई
inductance इन्डक्टेन्स
किसी भी क्वाइल ( coil ) का इन्डक्टेन्स निम्न बातों पर निर्भर करता है—
- लपेटों की संख्या पर
- लपेटों की बीच की दूरी पर
- लपेटों की दिशा पर
- कोर (Core) की क्वालिटी पर
- तार की मोटाई पर
1लपेटों की संख्या पर किसी क्वाइल ( coil ) का इन्डक्टेन्स ( inductance )लपेटों की संख्या के समानुपाती होता है। एक कम लपेटों वाली क्वाइल ( coil ) का इन्डक्टेन्स कम होता है जबकि एक अधिक लपेटों वाली का इन्डक्टेन्स( inductance ) अधिक होता है ।
2 लपेटों की बीच की दूरी पर किसी क्वाइल ( coil ) का इन्डक्टेन्स, ( inductance ) उस के लपेटों के बीच की दूरी का व्युत्क्रमानुपाती होता है। अर्थात यदि उस में तार के लपेटों के बीच की दूरी को बढ़ा दिया जाये तो इस का इन्डक्टेन्स ( inductance ) कम हो जाता है तथा लपेटों के बीच की दूरी कम होने पर इन्डक्टेन्स अधिक होता है
3 लपेटों की दिशा पर यदि किसी कुचालक आधार पर एक दिशा में कुछ लपेटें लगाकर कुछ और लपेटें उसके विपरीत दिशा में लगा दी जायें तो इन विपरीत लपेटों के कारण इस का इन्डक्टेन्स ( inductance ) कम हो जाता है। लेकिन यदि दो समान दिशाओं में लपेटी गई क्वाइल्स ( coil ) को आपस में जोड़ दिया जाये तो कुल इन्डक्टेन्स का मान, इन दोनों के इन्डक्टेन्स के योग के बराबर होता
4 कोर (Core) की गुणवत्ता (quality) पर यदि क्वाइल( coil ) को चुम्बकीय गुण वाले पदार्थ की कोर पर लपेटा जाये तो उसका इन्डक्टेन्स ( inductance ) अधिक हो जाता है। अलग-अलग प्रकार की कोर का प्रभाव अलग-अलग होता है ।
5 तार की मोटाई पर क्वाइल ( coil ) का इन्डक्टेन्स ( inductance ) प्रयोग किये गये तार के रेजिस्टेन्स के समानुपाती होता है। चूंकि पतले तार का रेजिस्टेन्स अधिक तथा मोटे तार का कम होता है, अतः पतले तार वाली का इन्डक्टेन्स ( inductance ), मोटे तार वाली की अपेक्षा अधिक होता है।
डी.सी क्वाइल D . C . Coil
यदि किसी क्वाइल ( coil ) के सिरों पर डी.सी. सप्लाई दी जाये तो कया होगा यहाँ इस सर्किट में इस को एक बैटरी से सप्लाई दी गई है। क्वाइल में से बहने वाली करेन्ट को नापने के लिऐ इसके सीरीज सर्किट में एक एम्पीयर मीटर लगाया गया है। एक स्विच ‘के द्वारा इसे बैटरी के साथ जोड़ा भी जा सकता है और काटा भी जा सकता है । जैसे ही इस स्विच को ON करते हैं, वैसे ही क्वाइल ( coil ) में होकर करेन्ट बहना प्रारम्भ हो जाती है। इस समय यदि हम मीटर की स्थिति को ध्यान से देखें तो हम देखेंगे कि मीटर में करेन्ट धीरे-धीरे बढोत्तरी दिखाती है। इससे स्पष्ट होता है कि क्वाइल ( coil ) में करेन्ट का मान धीरे-धीरे बढ़ रहा है। करेन्ट के धीरे-धीरे बढ़ने का कारण इस का इन्डक्टेन्स है। यहां यह ध्यान रखना चाहिये कि इस का इन्डक्टेन्स कम से कम 8-10 हैनरी हो अर्थात इस की लपेटे अधिक हो
प्रारम्भ में जैसे ही स्विच को ON किया जायेगा, वैसे ही बैटरी से क्वाइल ( coil ) में होकर करेन्ट बहना प्रारम्भ हो जायेगा। इस करेन्ट के कारण उस में चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न होगा। चूंकि यह चुम्बकीय क्षैत्र क्वाइल ( coil ) के कारण ही उत्पन्न हो रहा है अतः उस में कुछ वोल्टेज उत्पन्न हो गा लेकिन इन उत्पन्न वोल्टेज की पोलेरीटी (ध्रुवता), बैटरी के वोल्टेज की ध्रुवता से विपरीत दिशा में होगी अत: यह क्वाइल ( coil ) में बहने वाली करेन्ट का विरोध करेगा । इसके परिणाम स्वरूप इस में करेन्ट का मान धीरे-धीरे बढ़ेगा । कुछ समय बाद क्वाइल ( coil ) में होकर पूरी करेन्ट बहने लगेगी जिसका मान $$I=\frac{V}{R}$$ के द्वारा ज्ञात किया जा सकता है। note यहाँ V = बैटरी की वोल्टेज तथा R= क्वाइल ( coil ) का अवरोध
इस समय इस में से बहने वाली करेन्ट का भान अधिकत्तम होगा तथा यह स्थायी करेन्ट होगी अतः चुम्बकीय क्षैत्र की शक्ति भी स्थायी होगी और अब विपरीत ध्रुवता के वोल्टेज नहीं बनेगें ।
अब यदि स्विच की स्थिति बदल दें मतलब स्विच OFF कर दें तो बैटरी सर्किट से अलग हो जाये गी अतः मीटर में से होकर धारा नहीं बहनी चाहिये परन्तु ऐसा नहीं होता है। बैटरी से स्विच हटाने के बाद भी मीटर में कुछ देर तक करेन्ट बहती है तथा धीरे-धीरे कम होकर समाप्त हो जाती है। इस करेन्ट के बहने का कारण यह है कि जैसे ही स्विच की स्थिति बदली( OFF) जाती है वैसे ही क्वाइल ( coil ) में करेन्ट बहनी बन्द हो जाती है लेकिन जो चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न हुआ था, वह अब धीरे-धीरे डिस्चार्ज होता है अर्थात समाप्त होता है। इसके कारण भी क्वाइल ( coil ) में वोल्टेंज उत्पन्न होती हैं और इसी वोल्टेज के कारण मीटर में होकर कुछ देर तक करेन्ट बहती है
ए.सी.क्वाइल A . C . Coil
यदि किसी क्वाइल ( coil ) के सिरों पर ए.सी. सप्लाई दी जाये तो स्थिति, डी.सी. सप्लाई देने से बनी स्थिति से अलग होगी। डी.सी. सप्लाई के लिए केवल क्वाइल ( coil ) के तार का अवरोध ही रुकावट पैदा करता है लेकिन ए.सी. में करेन्ट की दिशा चूंकि लगातार बदलती रहती है अत: इससे उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र (फ्लक्स) का मान भी लगातार बदलता रहेगा इस प्रकार चुम्बकीय क्षैत्र के लगातार बदलते रहने के कारण क्वाइल ( coil ) के सिरों पर दी गई ए.सी. वोल्टेज के विपरीत, विरोधी वोल्टेज उत्पन्न होते रहेगें। इन विपरीत या विरोधी वोल्टेज के कारण क्वाइल ( coil ) में होकर बहने वाली करेन्ट का विरोध होगा जो कि क्वाइल ( coil ) में प्रयोग किये गये तार के अवरोध (रेजिस्टेन्स) से अलग होगा ।
इस परकार क्वाइल ( coil ) को AC देने पर उसमें एक अतिरिक्त विरोध उत्पन्न होता है।इस विरोध को “इन्डक्टिव रियक्टेन्स” (Inductive Reactance) कहते हैं तथा इसे XL से प्रदर्शित करते हैं। चूंकि क्वाइल ( coil ) में यह विरोध केवल AC देने के कारण ही उत्पन्न होता है अत: इसे क्वाइल ( coil ) का A. C. रेजीस्टेन्स भी कहा जा सकता है । चूंकि यह एक प्रकार का अवरोध ही होता है अत: इस नापने की इकाई ओह्म (Ω) होती है ।
- किसी क्वाइल का इन्डक्टिव रियक्टन्स निम्न सूत्र से ज्ञात किया जा सकता है— XL = 2×3.14xFxL
- यहाँ XL = क्वाइल का इन्डक्टिव रियक्टेन्स (ओह्म)
- F = दी गई A.C. की फ्रिक्वेन्सी (HZ)
- L = क्वाइल का इन्डक्टेन्स (H)
चित्र में क्वाइल ( coil ) मे उत्पन्न इस A.C. रेजिस्टेन्स का प्रभाव दिखाया गया है । चित्र (A) में एक बल्व (k=502) को 120 वोल्ट की A. C. सप्लाई दी गई है। इस सर्किट में 2.4AMP की करेन्ट बहती है तथा बल्व जलता है। चित्र (B) में सर्किट के सीरीज में एक क्वाइल ( coil ) लगाई गयी है, जिसका इन्डक्टिव रियक्टेन्स (XL) 1000Ω है। इसके कारण सर्किट में बहने वाली करेन्ट का मान 0.12AMP रह जाता है तथा बल्व नहीं जलता । चित्र (C) में सर्किट को.A.C. के स्थान पर 120 वोल्ट की D.C. सप्लाई दी गयी है। इस समय सर्किट में पुनः 2.4AMP की करेन्ट बहेगी तथा क्वाइल ( coil ) इस करेन्ट का विरोध नहीं करेगी और इस करेन्ट पर बल्व ON हो जायेगा ।
Impedance इम्पीडेन्स
एक क्वाइल ( coil ) का इन्डक्टिव रियक्टेन्स (x L) अर्थात A.C. देने के कारण उत्पन्न अवरोध और क्वाइल ( coil ) में प्रयोग किये गये तार का अवरोध मिलकर, करेन्ट के प्रवाह में जो सम्मिलित अवरोध उत्पन्न करते हैं उसे इम्पीडेन्स कहते हैं । इसे Z से प्रदर्शित किया जाता है । इम्पीडेन्स नापने की इकाई भी ओह्म (Ω) है।
किसी क्वाइल ( coil ) का इम्पीडेन्स (Z) को निम्न सूत्र के द्वारा ज्ञात किया जा सकता है—$$z={\sqrt{R^2+XL^2}}{ }$$
Magnetic Effect of Electric Current
जैसाकि पहले बताया गया है कि क्वाइल ( coil ) में बहने वाली करेन्ट के अनुसार, इसके चारों ओर चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न होता है जिसे विद्युत चुम्बकीय क्षेत्र कहते हैं। इस प्रकार क्वाइल में सप्लाई देकर उसे चुम्बक बनाया जा सकता है । इस प्रकार बनी चुम्बक को विद्युत चुम्बक कहते हैं। इस विद्युत चुम्बक की ताकत, क्वाइल ( coil ) में से बहने वाली करेन्ट के मान पर निर्भर करती है। यदि क्वाइल ( coil ) में अधिक करेन्ट बहेगी तो चुम्बकीय क्षेत्र भी ताकतवर होगा। इसके अलावा इस में अधिक लपेटों की संख्या भी चुम्बकीय क्षैत्र को अधिक ताकतवर बनाती है। यह चुम्बक, एक छड चुम्बक की तरह ही कार्य करती है जिसमें नॉर्थ (N) और साउथ (S) पोल होते हैं
चुम्बकीय ध्रुवता (Magnetic Polarity) : किसी क्वाइल ( coil ) में उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र की ध्रुवता का निर्धारण करने के लिए बाँये हाथ का नियम (Left Hand Rule) प्रयोग करते हैं, जैसाकि अगर इस को बांये हाथ से इस प्रकार पकडें कि अंगुलियों की दिशा, उस में बहने वाली करेन्ट की दिशा को
दर्शाये तो हाथ का अंगुठा क्वाइल ( coil ) के नॉर्थ (N) पोल को दिखायेगा । इस प्रकार सप्लाई मिलने पर यह एक छड़ चुम्बक (Bar Magnet) की तरह कार्य करती हैं, चाहे इसमें आयरन कोर का प्रयोग किया गया हो या नहीं। कोर लगा देने पर इस के अन्दर फ्लक्स की तीव्रता में वृद्धि होती है । इसके अलावा कोर की सम्पूर्ण लम्बाई के लिए चुम्बकीय क्षैत्र की ताकत एक समान होती है। एयर कोर और आयरन कोर क्वाइल्स ( coils )के लिए पोलेरिटी समान होती है। इस प्रकार, चुम्बकीय ध्रुवता करेन्ट बहने की दिशा और लपेटों की दिशा पर निर्भर करती है। करेन्ट की दिशा का निर्धारण वोल्टेज स्त्रोत से जुड़े कनेक्शन्स से किया जाता है। क्वाइल ( coil ) में से इलेक्ट्रान का बहाव वोल्टेज स्त्रोत (Voltage Source) के निगेटिव टर्मिनल से पोजिटिव टर्मिनल की तरफ होता है । वाइडिंग की दिशा, क्वाइल के एक सिरे से स्टार्ट करते समय ऊपर या नीचे से हो सकती है। वाइन्डिंग की दिशा बदलने पर या करेन्ट की दिशा बदल देने पर, क्वाइल ( coil ) में बनी चुम्बक के चुम्बकीय पोल्स की ध्रुवता बदल जाती है। लेकिन यदि इन दोनों को एक साथ बदल दिया जाये तो ध्रुवता समान रहती है ।चित्र में एक क्वाइल की मेग्नेटिक पोलेरिटी को निर्धारित करने के लिए उदाहरण दिये गये हैं। चित्र (A) और (B) में विपरीत पोलेरिटी है
क्योंकि करेन्ट की दिशा को बदलने के लिए बैटरी के कनेक्शन्स को बदला गया है । इसी प्रकार, चित्र (C) और (D) में भी विपरीत पोलेरिटी है क्योंकि इन दोनों की वाइडिंग्स एक दूसरे से विपरीत है ।
NOTE चूंकि D.C. सप्लाई की दिशा व मान हमेशा एक समान रहती है अतः जब किसी क्वाइल ( coil ) में से D.C. सप्लाई बहती है तो उत्पन्न होने वाले चुम्बकीय क्षेत्र का मान भी समान रहता है अर्थात स्थिर चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न होता है। इस प्रकार एक क्वाइल ( coil ) को D.C. सप्लाई देने पर उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र, एक छड़ चुम्बक के चुम्बकीय क्षेत्र के समान होता है। लेकिन जब एक क्वाइल को A. C. सप्लाई दी जाती है तो चूंकि A.C. का मान लगातार बदलता रहता है अत: उत्पन्न होने वाले चुम्बकीय क्षेत्र का मान भी लगातार बदलता रहता है। इस समय उत्पन्न होने वाला चुम्बकीय क्षेत्र, एक छड़ चुम्बक के चुम्बकीय क्षेत्र से भिन्न होता है। इस प्रकार, A.C. और D.C. देने पर क्वाइल ( coil ) के चारों ओर उत्पन्न होने वाले चुम्बकीय क्षैत्र के गुण अलग-अलग होते हैं