Voltage | What Is Voltage
किसी चालक तार मैं इलेक्ट्रॉन को गति देने के लिए जरुरी दबाव को हम विद्युत दबाव ( Electrical Pressure ) विद्युत ( Electricity ) या voltage कहते हैं यदि किसी चालक तार में बहने वाली विद्युत धारा की तुलना पाइप में बहते हुए पानी से की जाए तो जिस प्रकार पानी के बहाव के लिए एक बल की जरूरत होती है जो की पानी के पम्प से प्राप्त किया जाता है ठीक इसी प्रकार चालक तार में इलेक्ट्रॉन्स के बहाव के लिए भी एक ताकत लगानी पड़ती है जिसे विद्युत दबाव ( Electrical Pressure ) कहते हैं जब तक यह दबाव ( Electrical Pressure) नहीं लगेगा तब तक इलेक्ट्रॉन्स नहीं बहेंगे मतलब चालक तार में विद्युत धारा नहीं बहेगी विद्युत दबाव को समझने के लिए चित्र
में कुछ ( Vertical ) खड़ी ट्यूब दिखाई गई है साथ ही क्षैतिज ( Horizontal ) ट्यूब के एक सिरे पर पानी की टंकी लगी है इसी टंकी का पानी क्षैतिज ( Horizontal ) ट्यूब में से होकर बह रहा है खड़ी ( Vertical ) ट्यूब में पानी की स्थिति क्षैतिज ( Horizontal ) ट्यूब के अलग अलग बिंदुओं पर पानी के दबाव को दिखाती है इससे पता चलता है की क्षैतिज ( Horizontal ) ट्यूब के प्रवेश सिरे पर पानी का दबाव सबसे ज्यादा है तथा अंतिम सिरे पर दबाव सबसे कम है क्षैतिज ( Horizontal ) ट्यूब में पानी का बहाव दोनों किनारे की खड़ी ( Vertical ) ट्यूब के दबाव के अंतर पर निर्भर करता है यदि क्षैतिज ( Horizontal ) ट्यूब को ऊपर की तरफ उठाया जाता है तो यह दबाव कम हो जाएगा जिसकी वजह से क्षैतिज ( Horizontal ) ट्यूब में पानी का बहाव भी कम हो जाएगा अब अगर क्षैतिज ( Horizontal ) ट्यूब को नीचे की तरफ लाया जाए तो इन दोनों किनारों वाली ट्यूब में दबाव का अंतर बढ़ जाएगा जिसे क्षैतिज ( Horizontal ) ट्यूब में पानी का बहाव भी बढ़ जाएगा ठीक उसी प्रकार विद्युत धारा ( Electrical Current ) के बहने में भी चालक तार के दोनों सिरे के बीच दबाव का अंतर महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है यदि यह अंतर कम होगा तो चालक तार में से विद्युत धारा का बहाव कम हो गा अब जैसे जैसे या दबाव बढ़ेगा वैसे वैसे विद्युत धारा ( Electrical Current ) का मान भी बढ़ेगा जिस प्रकार पानी उच्च दबाव से निम्न दबाव की तरफ बहता है ठीक उसी प्रकार विद्युत का दबाव ( Electrical Pressure ) भी उच्च दबाव से निम्न दबाव की ओर बहता है जैसा कि ऊपर वाले चित्र में दिखाया गया है|
नीचे चित्र में दो आवेशित charge गोले दिखाए गए हैं
Potential Difference | Define Potential Difference
पहले गोले में विद्युत का दबाव अधिक है तथा दूसरे गोले में कम है यदि इन दोनों बोलो को एक चालक तार के जरये आपस में जोड़ दिया जाए तो चालक तार में विद्युत धारा बहने लगेगी जिसकी दिशा अधिक दबाव वाले गोले से कम दबाव वाले गोले की तरफ होगा दोनों गोलों के विद्युत दबाव में जो अंतर है उसे ही विभ्वान्तर ( Potential Difference ) कहते हैं कई बार हम
इसे electromotive force और electrical pressure या voltage भी कहते है ऊपर के उदाहरण से यह साफ हो जाता है कि यह विभ्वान्तर ( Potential Difference ) ही इलेक्ट्रॉन्स को एक गोले से दूसरे गोले तक बहने को मजबूर करता है जब दोनों गोलों में समान विभव हो जाता है तो चालक तार में विद्युत धारा का बहाव रुक जाता है विभ्वान्तर ( Potential Difference ) या voltage की परिभासा इस प्रकार दी जा सकती है ( electromotive force ) एक वह बल या सक्ति है जिस के जरये इलेक्ट्रॉन किसी सर्किट में से बहते है और इसे नापने की इकाई ओल्ट है ओल्ट से छोटी व बड़ी इकाइयां भी प्रयोग की जाती है यह कुछ इस प्रकार है
potential difference formula
1000माइक्रोओल्ट(1000NV)=1मिलीओल्ट(1MV)
1000मिलीओल्ट(1000mv)=1ओल्ट(1v)
1000ओल्ट(1000V)=1किलोओल्ट(1KV)
1000किलोओल्ट(1000KV)=1मेगाओल्ट(1MV)
विभ्वान्तर Potential Difference नापने के लिए ओल्ट मीटर का प्रयोग करते हैं तथा इसे लोड load के समनान्तर Parallel क्रम में लगाते है
si unit of potential difference
potential difference में si unit वोल्टेज को कहते है और इसे V से दिखाया जाता है वोल्टेज potential difference भी कहते है अगर बात करें वोल्टेज की तो करीब करीब सभी लोग जानते है मगर SI unit को भी वोल्टेज कहते है बहुत कम लोग जानते है |
Ampere Electric | ampere
किसी चालक तार में इलेक्ट्रॉन्स के बहाव को ही विद्युत धारा कहते हैं चालक तार के सिरे पर विद्युत दबाव देने पर ही इसमें विद्युत बहती है विद्युत दबाव ( electrical pressure ) और विद्युत प्रवाह ( Electrical Current ) दोनों एक दूसरे से एकदम अलग है जिस प्रकार पानी की टंकी में , पानी ,टंकी के तल पर, दबाव डालता है तभी टंकी की टूटी से पानी निकलता है क्या टंकी के तल पर पढ़ने वाले दबाव और निकलने वाली पानी की धारा को एक जैसा माना जा सकता है | जिस प्रकार यह दोनों अलग अलग चीजें हैं | ठीक उसी प्रकार विद्युत दबाव ( electrical pressure) व विद्युत धारा ( Electrical Current ) भी अलग अलग होते हैं विद्युत धारा नापने की इकाई एंपियर है इससे छोटी इकाइयां मिली एंपियर और माइक्रो एंपियर है यह कुछ इस प्रकार होता है
1000माइक्रोअम्पीयर(1000UA)=1मिलीअम्पीयर(1MA)
1000मिलीअम्पीयर(1000MA)=1अम्पीयर(1A)
करंट नापने के लिए एंपियर मीटर का प्रयोग करते हैं तथा इसे लोड load की सीरीज Series में लगाते हैं
define 1 ampere
एक एम्पीयर एक इलेक्ट्रिकल सर्किट में इलेक्ट्रॉन फ्लो या current की दर का एक मात्रा माप होता है, जो एक सेकंड में एक कैलूम्ब ( coloumb ) चार्ज को दर्शाता है। एक एम्पीयर की धारा ( current ) एक सेकंड में एक विशिष्ट बिंदु से गुजरते हुए एक कैलूम्ब ( coulomb ) विद्युत ( Electric ) चार्ज ( 6.24 x 10^18 चार्ज के बराबर ) दर्शाती है।
Electrical Resistance | Unit Of Electrical Resistance
विद्युत धारा ( Electrical Current ) के मार्ग में किसी चालक तार के जरये लगाई जाने वाली रुकावट विद्युत औरोध या Electrical Resistance कहलाती है कोई तार चाहे वह कितनी ही अच्छे चालक पदार्थ का बना हो इसमें औरोध ( Resistance ) का गुण जरूर होता है विद्युत औरोध (electrical Resistance ) की प्रारंभिक खोज जर्मन वैज्ञानिक जॉर्ज साइमन ओम (ohm ) ने की थी इन्हीं के नाम पर औरोध ( Resistance ) की इकाई को ओम ( ohm ) कहा जाता है ओम ohm का ग्राफिकल निशान Ω होता है औरोध ( Resistance ) नापने की इकाइ और इस में आप सी संबंध इस प्रकार होता है
Unit of Resistance
1000ओम(1000Ω)=1किलोओम(1kΩ)
1000किलोओम(1000kΩ)=1मेगाओम(1mΩ)
औरोध नापने के लिए ओम मीटर का प्रयोग किया जाता है
ohm’s law | ohm’s law in hindi
ओम का नियम विद्युत का सैद्धान्तिक आधार (Theoretical foundation) है यह नियम ( law ) सन् १८२५-२६ में जर्मन भौतिकविद् एवं तकनीकी विश्वविद्यालय के प्रोफेसर जॉर्ज साइमन ओम ने बनाया था उन्हीं के नाम पर इसे ओम का नियम कहते हैं ओम के नियम के हिसाब से किसी विद्युत सर्किट ( electrical circuit ) में औरोध ( Resistance ) को स्थिर रखकर जैसे-जैसे विद्युत दबाव ( Electrical Pressure ) बढ़ाया जाता है वैसे वैसे उस सर्किट में बहने वाली धारा ( Electrical Current ) का मान ( Value) बढ़ता है इसके अलावा विद्युत दबाव Electrical Pressure को स्थिर रखकर जैसे-जैसे विद्युत दबाव ( Electrical Pressure ) बढ़ाया जाता है वैसे वैसे उस सर्किट में बहने वाली धारा का मान बढ़ता है इसके अलावा विद्युत दबाव को स्थिर रखकर जैसे-जैसे औरोध ( Resistance ) बढ़ाया जाता है वैसे वैसे सर्किट में धारा का मान कम होता है ओम के नियम के आधार पर तीन सूत्र ( Formula ) बनाए गए हैं जिसे विद्युत औरोध ( unit of electrical resistance ) कहते है जो इस प्रकार है जो इस प्रकार है
ओम के नियम के आधार पर तीन सूत्र ( Formula )
इस सूत्र की मदद से आप किसी दो की value मालूम हो तो तीसरी की निकाल सकते है
NOTE, यहाँ सूत्र में I , V और R का मतलब
V = विभान्तर ( Voltage ) इकाई Volt( V ) हैं इसे V से प्रदर्सित करते है |
R = प्रतिरोध(Resistance) इकाई Ohm ( Ω ) हैं इसे R से प्रदर्सित करते है |
I = धारा( Current ) इकाई Ampere ( A ) हैं इसे A से प्रदर्सित करते है |
अगर आपको विभान्तर मतलब Voltage का मान पता करना है तो इस सूत्र का प्रयोग करें |
Formula NO 1 : V=IR
अगर आपको प्रतिरोध मतलब Resistance का मान पता करना है तो इस सूत्र का प्रयोग करें |
Formula NO 2 : R=V/I
अगर आपको धारा मतलब Current का मान पता करना है तो इस सूत्र का प्रयोग करें |
Formula NO 3 : I=V/R
विद्युत दबाव ( electric pressure ) विद्युत धारा ( Electrical Current ) व विद्युत औरोध ( electrical Resistance ) इन में से किसी 2 का मान ( Value) पता होने पर तीसरे मान की गणना सूत्र के अनुसार की जा सकती हैं विद्युत उपकरण किसी भी प्रकार की ऊर्जा कभी समाप्त नहीं होती केवल उसका रूप बदल जाता है विद्युत भी एक ऊर्जा ( energy ) है इसे कई रूपों में बदला जा सकता है उदाहरण के लिए एक बल्ब के जरये ऊर्जा ( energy ) को प्रकाश में बदला जा सकता है इसी उर्जा को हीटर के जरये उसमा में बदला जासकता है इसी प्रकार कई अन्य माध्यमों के जरये विद्युत ऊर्जा ( electric energy ) को अनेकों रूपों में बदला जा सकता है जिन उपकरणों ( Device )में विद्युत ऊर्जा ( electrical energy ) को अन्य रूपों में बदलकर प्रयोग किया जाता है वे सभी विद्युत उपकरण ( electrical appliance ) कहलाते हैं विद्युत आयरन , ट्यूब लाइट ,पंखा हीटर, गीजर, मिक्सर मोटर यह सभी ऐसे उपकरण हैं जिनमें विद्युत ऊर्जा ( electrical energy ) को अलग अलग रूपों में प्रयोग किया जाता है प्रत्येक उपकरण ( Device ) विद्युत धारा में एक निश्चित मान ( Value )की धारा की खपत करता है प्रत्येक विद्युत उपकरण पर उसके लिए आवश्यक विद्युत दबाव electric pressure का मान वोल्ट में तथा उसकी ताकत वाट में लिखी होती है उदाहरण के लिए किसी बलब पर निम्न दो मान लिखे होते हैं जैसे 220 V ( वोल्ट ) और 100 W ( ताकत )
सूत्र ( Formula )
NOTE यहाँ W का मतलब WATT ( ताकत )
अगर आपको विभान्तर मतलब WATT ( W ) का मान पता करना है तो इस सूत्र का प्रयोग करें |
Formula NO 1 : W=I×V
अगर आपको विभान्तर मतलब Ampere ( A ) का मान पता करना है तो इस सूत्र का प्रयोग करें |
Formula NO 2 : I=W/V
अगर आपको विभान्तर मतलब Voltage का मान पता करना है तो इस सूत्र का प्रयोग करें |
Formula NO 3 : V=W/I
यहाँ W = उपकरण (LOAD)की ताकत
यहाँ V = उपकरण के सिरों के बीच विद्युत दबाव ( electric pressure ) [ विभवान्तर ] का मान वोल्ट में
यहाँ I = उपकरण के जरये खर्च की जाने वाली विद्युत धारा का मान ( Value ) एम्पीयर में (amps)
विद्युत सर्किट | Electrical Circuit
विद्युत धारा ( Electric current ) के जरिये अपनाया गया वह मार्ग (रास्ता) जहाँ पर विद्युत की खपत ( Consumed ) होती है विद्युत सर्किट ( Electrical circuit ) कहलाती है एक आदर्श विद्युत सर्किट ( ideal electrical circuit ) में विद्युत स्रोत ( power source )फ्यूज , लोड ,ऑन ऑफ स्विच , तथा इसमें आपसी संबंध बनाने के लिए आवश्यक चालक तार ( Conductive wire ) का होना जरूरी है चित्र मैं एक आदर्श सर्किट के सभी चीजे दिखाई गई है
विद्युत सर्किट के प्रकार | Types Of Electrical Circuits
िद्युत सर्किट Electrical circuit 5 प्रकार की होती है जो इस प्रकार है
बंद सर्किट | Close Circuit
जब किसी सर्किट या तार में ऑन ऑफ स्विच ऑन स्थिति में हो और लोड अपना काम कर रहा हो तो ऐसी सर्किट को बंद या close circuit सर्किटकहते है ऐसी सर्किट में बहने वाली करंट का मान लोड पर निर्भर करता है चित्र ideal electrical circuit में एक बंद सर्किट दिखाया गया है इस सर्किट में स्विच ऑन स्थिति में है तथा लोड मतलब बल्ब प्रकाश दे रहा है
खुला सर्किट | Open Circuit
खुला सर्किट जब किसी सर्किट या तार में ऑन ऑफ स्विच ऑफ स्थिति मतलब off position में हो या सर्किट की कोई तार टूट गई हो या सर्किट की कोई तार जल गई हो तो ऐसी सर्किट खुली सर्किट कहलाती है कभी-कभी लोड ओपन होकर भी सर्किट को ओपन कर देती है ऐसी सर्किट में करंट का बहाव नहीं होता कियो की लोड काम नहीं करता चित्र संख्या में एक खुला सर्किट दिखाया गया है इसमें बैटरी का positive सिरे से बल्ब पर जाने वाली तार टूटी हुई है इस तार के टूट जाने के कारण सर्किट में करंट का बहाव बंद हो गया है तथा बल्ब काम करना बंद कर दिया है
शार्ट सर्किट | Short Circuit
जब सर्किट में सप्लाई स्रोत ( supply source ) के दोनों सिरे यानी positive और negative बिना लोड लिए आपस में मिल जाते हैं तो इस सर्किट को शार्ट सर्किटकहते हैं शार्ट सर्किट होता है तो सर्किट में करंट बहने के लिए सरल व छोटा रास्ता मिल जाता है जिसके कारण सर्किट में अधिकतम करंट बहने लगती है इससे सर्किट में अन्य खराबियां होने का भी खतरा रहता है शार्ट सर्किट में करंट का प्रवाह जब तक जारी रहता है तब तक बैटरी के करंट कैपेसिटी समाप्त नहीं हो जाती या फिर अधिकतम करंट बहने के कारण सर्किट में कोई दूसरी खराबी आ जाने के कारण सर्किट ओपन नहीं हो जाता कभी-कभी लोड के शार्ट हो जाने पर भी सर्किट शॉर्ट हो जाती है शार्ट सर्किट को कभी भी बड़ी सावधानी से चेक करना चाहिए इस सर्किट में अत्यधिक करंट बहने के बावजूद लोड कार्य नहीं करता चित्र में एक शार्ट सर्किट दिखाया गया है इसमें बैटरी के दोनों सिरे लोड से पहले ही आपस में मिल गए हैं अतः लोड बल्फ कार्य नहीं कर रहा है
सीरीज सर्किट | Series Circuit
जब दो या दो से अधिक विद्युत उपकरण ( electrical equipment ) एक के बाद एक लगातार क्रम में लगा दिए जाते हैं तो यह एक सीरीज सर्किट कहलाता है आप ने कई अवसरों पर दुकानों घरों और बाजारों में सजावट देखी होगी आपने देखा होगा कि इसके लिए अनेक छोटे बड़े बल्बों या आज कल LED की कतार बनाई जाती है इन कतारों में छोटे-छोटे बल्बों या LED को सीरीज में जोड़ा जाता है चित्र में बल्बों के द्वारा बना सिरीज सर्किट दिखाया गया है यहां कुछ बल्ब 20 वोल्ट के कुछ 10 वोल्ट एक के बाद एक सीरीज क्रम के अनुसार लगे हैं बल्बों को इस प्रकार जोड़ते समय यह ध्यान रखना जरूरी है कि सभी बल्बों की कुल वोल्टेज कैपेसिटी का मान दी गई इनपुट सप्लाई के बराबर हो यदि बल्बों की कुल वोल्टेज ( electrical pressure) कैपेसिटी का मान इनपुट सप्लाई से ज्यादा होगा तो प्रत्येक बल्ब के हिस्से में आवश्यक वोल्टेज से कम ओल्ट मिलेंगे और बल्ब की रोशनी कम हो जाएगी लेकिन यदि सभी बल्बों की कुल वोल्टेज कैपेसिटी का मान इनपुट सप्लाई से कम है तो प्रत्येक बल्ब के हिस्से में आवश्यक वोल्टेज में अधिक वोल्ट प्राप्त होंगे यदि बल्ब को सप्लाई काफी अधिक मिल जाएगी तो बल्ब फ्यूज भी हो सकता है उदाहरण के लिए 12 वोल्ट के कुछ बल्बों को सीरीज सर्किट में 240 वोल्ट की इनपुट सप्लाई के लिए बनाई है तो हमें 20 बल्बों की सीरीज में जोड़ना होगा और इस प्रकार 12×20=240 VOLT जो कि सभी बल्बों की कुल वोल्टेज कैपेसिटी है | उसका मान इनपुट सप्लाई के बराबर हो जाएगा इस स्थिति में सभी बलब अपनी सामान्य ताकत के अनुसार प्रकाश देंगे अब यदि हम कुल 20 बल्बों के जगह पर 30 बल्ब लगा दें तो इस स्थिति में 240 वोल्ट की इनपुट सप्लाई 30 बल्बों में एक समान रूप से बट जाएगी तथा प्रत्येक बल्ब को 4 पॉइंट कम यानी 8 ओल्ट की सप्लाई प्रतेक बल्ब को प्राप्त होगी जो एक बल्ब कि सामान वोल्टेज कैपेसिटी 4 वोल्ट कम है आता प्रत्येक बल्व कम रोशनी देगा अब यदि हम कुल 20 बल्बों के स्थान पर केवल 10 बल्ब ही लगाएं तो इस स्थिति में 240 वोल्टेज की इनपुट सप्लाई 10 बल्बों में एक समान रुप से बट जाएगी और प्रत्येक बल्ब को 24 वोल्ट की सप्लाई प्राप्त होगी जो एक बल्ब के समान ओल्ट कैपेसिटी से काफी अधिक है इस स्थिति में सभी बल्ब तेज प्रकाश देंगे इसके अलावा बल्ब फ्यूज भी हो सकते हैं किसी भी बल्ब के फ्यूज होने पर पूरी सीरीज के बल्ब बुझ जाएंगे इसके अलावा सीरीज सर्किट के प्रत्येक बिंदु पर करेन्ट का मान सम्मान होता है अतः सभी बल्ब एक समान करेन्ट कैपेसिटी या समान वोल्टेज शक्ति के होने चाहिए यदि बल्बों की किसी स्विच सर्किट में एक बल्ब अधिक वाट का लगा दिया जाए तो सर्किट में बहने वाली करेन्ट का मान इस अधिक वाट वाले बल्ब के अनुसार अधिक होगा जिसे अन्य बल्ब सहन नहीं कर पाएंगे और फ्यूज हो जाएंगे अतः संक्षेप में यह कहा जा सकता है किसीरीज सर्किट में लगे सभी बल्बों की कुल वोल्टेज कैपेसिटी का मान इनपुट सप्लाई के बराबर होना चाहिए तथा सभी बल्बों की वाटेज WATTS शक्ति समान होनी चाहिए
उदाहरण
माना 36 वोल्टेज कैपेसिटी वाले 7 बल्ब लगे हैं इस प्रकार यहां 36×7 फिजिकल 252 वोल्टेज की इनपुट सप्लाई देनी होगी सर्किट में जब कि इनपुट सप्लाई का मान 220वोल्ट से 250 वोल्ट है इस प्रकार कहा जा सकता है कि 220 वोल्ट की इनपुट सप्लाई पर यह बल्ब कम रोशनी देंगे तथा 250 वोल्ट पर इनका प्रकाश लगभग समान हो जाएगा
पैरेलल सर्किट | Parallel Circuit
ब दो या दो से अधिक बल्बों के एक एक सिरे को आपस में जोड़कर उसे सप्लाई स्रोत के एक तार से जोड़ दिया जाए और बल्बों के दूसरे सभी सिरे को आपस मेंजोड़कर सप्लाई स्त्रोत के दूसरे तार से जोड़ दिया जाए तो यह उनका पैरेलल संयोजन कहलाता है जैसा कि चित्र में दिखाया गया है यहां 40 वाट 220 वोल्टकैपेसिटी के चार बल्ब पैरेलल में लगे हैं पैरेलल सर्किट में प्रत्येक बिंदु पर वोल्ट समान रहते हैं इसलिए यह ध्यान रखना चाहिए कि पैरेलल में लगे सभी बल्बोंवोल्टेज कैपेसिटी इनपुट सप्लाई के बराबर होनी चाहिए इसके अलावा पैरेलल में लगे बल्बों की ताकत वाटेज भिन्न-भिन्न हो सकती है यहां हम बल्बों की संख्या में लगातार वृद्धि या कमी कर सकते हैं लेकिन यह ध्यान रखना चाहिए कि सभी बल्बों द्वारा खर्च की जाने वाली करेन्ट का योग इनपुट करेन्ट से अधिक ना हो जाए इस लिए जब किसी अवसर पर सजावट की जाती है तो इनपुट सप्लाई एक ही स्थान से ना लेकर भिन्न-भिन्न स्थानों से या सीधे खंबे से ही ली जाती है पैरेलल में लगे बल्बों में से किसी एक के फ्यूज यानी ओपन होने पर उसका प्रभाव अन्य बल्बों पर नहीं पड़ता अर्थात बकी सभी बल्ब प्रकाश देते रहते हैं घरों में जो विद्युत वायरिंगकी जाती है वह सभी पैरेलल में ही होती है
शन्ट का सिद्धान्त | Shunt Theory
शन्ट का सिद्धान्त shunt theory शन्ट कम मान का प्रतिरोधक होता है जो किसी भी लोड के पैरेलल में लगाया जा सकता है इसके प्रयोग से लोड को कम करेन्ट मिलती है तथा सर्किट की करेन्ट शन्ट के द्वारा आगे निकल जाती है ऐसा पराया सीरीज सर्किट में ही किया जाता है इससे लोड की सुरक्षा रहती है उदाहरण के लिए यदि हम 440 वोल्ट की इनपुट सप्लाई में 220 ओल्ड कैपेसिटी के दो बल्ब सीरीज में लगाना चाहते हैं तो यह आवश्यक है कि दोनों बल्बों की वाटेज शक्ति एक समान हो लेकिन यदि दोनों बल्ब अलग-अलग watts शक्ति हैं तो कम वोल्टेज वाले बल्ब के पैरेलल में एक औरोध Resistance लगानी होगी यह Resistance शन्ट का कार्य करती है चित्र के अनुसार यदि हम दो बल्ब जिनकी क्षमता क्रमशा 60 वाट 220 वोल्ट और 100 वाट 220 वोल्ट है सीरीज में लगाने है तो 60 वाट के बल्ब के पैरेलल में एक रजिस्टर्ड 1.2 k लगानी होगी अन्यथा यह बल्ब फ्यूज हो जाएगा इस Resistance के मान की गणना ऊपर दिये सूत्र ( Formula ) से की जा सकती है
Fuse क्या होता है | Fuse का किया काम है
विज्ञान का इतना विकास हो जाने पर भी हमारे देश में बहुत से लोग फ्यूज (electrical Fuse) से अपरिचित हैं। कई बार देखा गया है कि लोग फ्यूज के स्थान पर मोटा तार लगा देते हैं। यदि उन्हें इस बारे में कुछ कहा जाये तो उनका मत होता है कि मोटा फ्यूज वायर लगाने से वह बार-बार नहीं उड़ता। ये उनकी फ्यूज सम्बन्धित अज्ञानता के ही उदाहरण हैं ।आखिर ये फ्यूज क्या हाता है तथा कियो लगाया जाता है ? किस आधार पर फ्यूज का मान निर्धारित किया जाता है ? इन प्रश्नों के उत्तर सामान्य लगते हैं लेकिन इनका महत्व काफी अधिक है फ्यूज का प्रयोग विद्धुत सर्किट ( electrical circuit ) की सुरक्षा के लिए किया जाता है। फ्यूज धातु के पतले तार का टुकड़ा ही होता है जो एक निश्चित करेन्ट को ही अपने अन्दर से प्रवाहित होने देता है। फ्यूज की करेन्ट केपेसिटी से अधिक करेन्ट होने पर वह गर्म होकर जल जाता है और सर्किट ब्रेक हो जाता है तथा अधिक करेन्ट बहने से होने वाली संभावित खराबियां नहीं होती। इसके अलावा फ्यूज वायर का रेजीस्टेन्स करेन्ट को कन्ट्रोल भी रखता है ।
सर्किट में करेन्ट की खपत के आधार पर ही फ्यूज का मान निर्धारित किया जाता है। यदि अधिक लोड पर कम मान का फ्यूज लगा दिया जाये तो वह गर्म होकर ओपन हो जायेगा। एक बल्व के द्वारा करेन्ट की खपत एक प्रेस (आयरन) द्वारा होने वाली करेन्ट की खपत से कम होती । अब यदि फ्यूज का मान बल्व की करेन्ट केपेसिटी के अनुसार लगा दिया जाये और बल्व के स्थान पर प्रेस (आयरन) लगा दी जाये तो फ्यूज जल जायेगा । अत: सही मान का फ्यूज ही लगाना चाहिये । अगर फ्यूज के स्थान पर मोटा तार लगा दिया जाये तो फ्यूज का महत्व ही समाप्त हो जाता है। ऐसे सर्किट में लोड बढ़ जाने पर या शोर्ट सर्किट हो जाने पर जब करेन्द का मान बढ़ जाता है तो पूरी वायरिंग के जल जाने की संभावना रहती है। इसलिए फ्यूज के लिए एक पतले तार का प्रयोग ही करना चाहिये। एक साधारण फ्लेक्जिबल वायर में कई पतले वायर होते हैं इनमें से एक वायर का प्रयोग फ्यूज के रूप में किया जा सकता है। इसके अलावा बाजार में अलग-अलग करेन्ट केपेसिटी के तैयार फ्यूज भी मिलते हैं। ये फ्यूज कांच की नली में लगे होते हैं जिसके दोनों सिरों पर धातु की टोपी लगी होती है। ग्राफिकल निशान और कुछ फ्यूज चित्र में दिखाया गया है
घरों में प्राय: 3 से 5 एम्पीयर के फ्यूज या जरूरत के हिसाब से कम ज्यादा लगाये जाते हैं। इनके लिए चीनी मिट्टी के बने फ्यूज आते हैं। इनमें साधारण फ्लेक्जिबल वायर से दो पतले वायर निकाल कर लगा सकते हैं। अन्य विद्युत उपकरणों ( electrical appliances ) में लगने वाले फ्यूज उन उपकरणों की करेन्ट केपेसिटी के अनुसार ही लगाये जाते हैं। यह करेन्ट केपेसिटी उन उपकरणों के सर्किट डायग्राम में दी गई होती हैं ।